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हिजला में दुमका जिला का सबसे बड़ा जीवाश्म

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पंडित अनूप कुमार वाजपेयी, दुमका
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14 फरवरी, 2013, वेबअखबार। झारखण्ड राज्य अन्तर्गत संताल परगना प्रमंडल का मुख्यालय दुमका से दो किलोमीटर दूरी पर स्थित है हिजला नामक एक छोटी सी पहाड़ी। इस पहाड़ी की जद्दी के पास मयूराक्षी नामक नदी के तट पर प्रतिवर्ष प्रशासन द्वारा आयोजित किया जाता है एक मेला। हिजला नामक स्थल के कारण ही इस मेला को हिजला मेला कहा जाता है। संताल परगना पहले एक जिला था, जो कालान्तर में प्रमंडल बन गया। हिजला मेला की शुरूआत 1890 ई0 में संताल परगना के उपायुक्त रॉबर्ट कास्टेयर्स द्वारा की गयी थी। हालाँकि हिजला की एक विशॆष पहचान संताल परगना में मेला के कारण ही है, परन्तु पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी इस स्थल को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। दुमका जिला का यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ अनगिनत काल से विद्यमान है वृक्ष के एक हिस्से का जीवाश्म , जो इस लेखक द्वारा किये गये शोध के अनुसार दुमका जिला में अबतक पाये गये जीवाश्मों में सबसे बड़ा है। वैसे तो दुनियाँ में पेड़ों के सर्वाधिक जीवाश्म संताल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिला में रहे हैं, जिनमें से अधिकांश के विनष्ट हो जाने के बावजूद आज भी इन जीवाश्मों का सबसे बड़ा भंडार यहीं है। दुमका जिला में पेड़ों के जीवाश्म बहुत ही कम मिलते हैं, मगर विशॆषता यह है कि यहाँ पेड़ के हिस्से के काले रंग के भी जीवाश्म मिलते हैं। संताल परगना में राजमहल पहाड़ी-श्रृंखलाओं में स्थित बहुत ही छोटी-छोटी पहाड़ियों और इसके मैदानी भागों में ही पेड़ों के जीवाश्म मिलते हैं, जिनकी आयु के बारे में शोधकर्ताओं की अलग-अलग राय है। इन जीवाश्मों की न्युनतम आयु एक करोड़ बीस लाख वर्ष से अधिक मानी गयी है। जहाँतक हिजला की बात है यहाँ की उक्त बहुत ही छोटी सी पहाड़ी की प्रवृत्ति भी राजमहल पहाड़ियों के समान ही है, जिस कारण हिजला पहाड़ी को भी राजमहल पहाड़ी- श्रृंखलाओं से अलग करके नहीं देखा जा सकता और इस पहाड़ी की जद्दी के पास स्थित जीवाश्म की आयु भी कम नहीं है। यही कारण है कि हिजला पहाड़ी और इसकी जद्दी के पास स्थित जीवाश्म के महत्व को भी कम करके देखना उचित नहीं।
(लेखक पुरातत्ववेत्ता भी हैं।)

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